RPSC School Lecturer Hindi Syllabus: इस पोस्ट में राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा हिन्दी विषय का पाठ्यक्रम एवं परीक्षा पैटर्न उपलब्ध करवाया गया है। यह पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न हिन्दी भाषा मे उपलब्ध करवाया गया है। यदि आप राजस्थान स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो यह पोस्ट आपके लिए बेहद ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है। इस पोस्ट में हिन्दी विषय के पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। RPSC School Lecturer Hindi Exam Pattern, RPSC 1st Grade Hindi Exam Pattern, RPSC 1st Grade Hindi Syllabus, RPSC School Lecturer Hindi Syllabus PDF
Exam Organizer | Rajasthan Public Service Commission |
Exam Name | RPSC School Lecturer |
Category | Syllabus |
Paper | Paper – II Hindi |
Official Website | rpsc.rajasthan.gov.in |
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RPSC School Lecturer Hindi Exam Pattern
1. पेपर में सभी प्रश्न बहुविकल्पीय प्रकार के प्रश्न होंगे। समय – 3 घंटे
2. उत्तर के मूल्यांकन में नकारात्मक अंकन लागू होगा। प्रत्येक गलत उत्तर के लिए उस विशेष प्रश्न के लिए निर्धारित अंकों में से एक तिहाई अंक काटे जाएंगे।
व्याख्या: गलत उत्तर का अर्थ गलत उत्तर या एकाधिक उत्तर होगा
Subject | No. of Questions | Total Marks |
Knowledge of Subject Concerned : Senior Secondary Level | 55 | 110 |
Knowledge of Subject Concerned : Graduation Level | 55 | 110 |
Knowledge of Subject Concerned : Post Graduation Level | 10 | 20 |
Educational Psychology, Pedagogy, Teaching Learning Material, Use of Computers and Information Technology in Teaching Learning. | 30 | 60 |
Total | 150 | 300 |
RPSC School Lecturer Hindi Syllabus
खण्ड – I (उच्च माध्यमिक स्तर)
(अ) (i) अपठित गद्य:- ज्ञान एवं अर्थग्रहण से संबंधित प्रश्न
(ii) अपठित पद्य:- ज्ञान एवं अर्थग्रहण से संबंधित प्रश्न
(iii) कार्यालयी लेखन- अर्द्ध-शासकीय पत्र, विज्ञप्ति, परिपत्र, निविदा, ज्ञापन, अधिसूचना
(iv) शब्दकोशः-उपयोग-पद्धति
(v) व्याकरण का सामान्य ज्ञान- संधि, समास, उपसर्ग, प्रत्यय पर्यायवाची शब्द, विलोम शब्द, शब्द-शुद्धि, वाक्य- शुद्धि, शब्द-युग्म, वाक्यांश के लिए एक शब्द, अनेकार्थी शब्द
(vi) जनसंचार के प्रमुख माध्यम, तत्सम्बन्धी लेखन एवं पत्रकारिता
(vii) कविता, कहानी, वार्ता, रिपोर्ताज एवं डायरी लेखन विषयक सामान्य जानकारी
(आ) माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर के नवीनतम सत्र के पाठ्यक्रम में समाहित ग्यारहवीं एवं बारहवीं कक्षाओं की अनिवार्य हिन्दी एवं ऐच्छिक हिन्दी की समस्त गद्य-पद्य रचनाओं एवं रचनाकारों का समावेश इस पाठ्यक्रम में किया जाएगा
खण्ड – II (स्नातक स्तर)
(अ) हिन्दी साहित्य का इतिहास
(i) इतिहास – लेखन की परम्परा, प्रमुख इतिहास-ग्रंथ एवं इतिहास-लेखक हिन्दी साहित्य का आरम्भ, काल-विभाजन और नामकरण
(ii) आदिकाल – रचनाओं की प्रामाणिकता; प्रवृत्तियाँ, रचनाकार एवं प्रमुख रचनाओं का परिचय
(iii) भक्तिकाल – सामान्य परिचय, भक्ति का उद्भव, विकास और दार्षनिक पृष्ठभूमि
● संत काव्य- विषेषताएँ, प्रमुख कवि एवं रचनाएँ
● सूफी काव्य- विषेषताएँ, प्रमुख कवि एवं रचनाएँ
● रामभक्ति काव्य- विषेषताएँ, प्रमुख कवि एवं रचनाएँ
● कृष्ण भक्ति काव्य- विषेषताएँ, प्रमुख कवि एवं रचनाएँ
(iv) रीतिकाल – रीति से तात्पर्य, मुख्य काव्यधाराएँ- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध एवं रीतिमुक्त। तत्कालीन काव्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ एवं विषेषताएँ; रचनाकार एवं प्रमुख रचनाओं का परिचय
(v) आधुनिक काल
● पूर्व पीठिका- तत्कालीन परिस्थितियाँय हिंदी (खड़ी बोली) गद्य का उद्भव नवजागरणय भारतेंदु एवं समकालीन साहित्यकारय गद्य की विविध विधाओं का उद्भव
● विविध गद्यविधाओं का विकास-नाटक, एकांकी, निबंध, कहानी, उपन्यास, आत्मकथा, जीवनी, संस्मरण, रेखाचित्र एवं रिपोर्ताज- रचनाकारों एवं उनकी प्रमुख रचनाओं का परिचय
● काव्य का विकास-भारतेंदु युग, द्विवेदी युग, छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता एवं समकालीन कविता- रचनाकारों एवं उनकी प्रमुख रचनाओं का परिचय
(आ) काव्यषास्त्र
(i) शब्द शक्ति – अभिधा, लक्षणा, व्यंजना
(ii) अलंकार – यमक, श्लेष, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, संदेह, भ्रान्तिमान, दृष्टान्त, उदाहरण, व्यतिरेक, विरोधाभास, असंगति, विभावना, अन्योक्ति, समासोक्ति
(iii) छंद – दोहा, चौपाई, रोला, उल्लाला, गीतिका, हरिगीतिका, कवित्त, छप्पय, कुण्डलिया, द्रुतविलम्बित
(iv) काव्य-गुण – माधुर्य, ओज, प्रसाद
(v) काव्य-रस – रस का स्वरूप, रसावयव-स्थायीभाव, विभाव, अनुभाव, संचारी भावय विभिन्न रसों के लक्षण एवं उदाहरण
खण्ड – III (स्नातकोत्तर स्तर)
(I) काव्य हेतु, लक्षण एवं प्रयोजन
(II) रसनिष्पत्ति, साधारणीकरण, ध्वनि सिद्धान्त, वक्रोक्ति सिद्वान्त
(III) अरस्तू का अनुकरण सिद्धान्त, लोंजाइनस का उदात्त तत्त्व, मार्क्सवाद
खण्ड IV – (शैक्षिक मनोविज्ञान, शिक्षाशास्त्र, शिक्षण-अधिगम सामग्री, कम्प्यूटर एवं सूचना तकनीकी का शिक्षण-अधिगम में उपयोग)
1. शिक्षण-अधिगम में मनोविज्ञान का महत्व:
● अधिगमकर्ता
● शिक्षक
● शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया
● विद्यालय प्रभावशीलता
2. अधिगमकर्ता का विकास: किशोर अधिगमकर्ता में
● संज्ञानात्मक, शारीरिक, सामाजिक संवेगात्मक एवं नैतिक विकास के प्रतिमान (Patterns) एवं वैशिष्ट्य (characteristics)
3. शिक्षण-अधिगम:
● उच्च माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए – व्यवहारवादी, संज्ञानवादी और निर्मितिवादी (constructivist) सम्प्रत्यय, अधिगम के सिद्धान्त एवं इनके निहितार्थ।
● किशोर अधिगमकर्ता की अधिगमकर्ता की अधिगम-विशेषताएँ एवं इनके शिक्षण के लिए
निहितार्थ।
4. किशोर -अधिगमकर्ता प्रबंधन:
● मानसिक -स्वास्थ्य एवं समायोजन -समस्याओं का सम्प्रत्यय
● किशोर के मानसिक स्वास्थ्य के लिए संवेगात्मक -बु़िद्ध एवं इसके निहितार्थ।
● किशोर के मानसिक स्वास्थ्य को प्रोत्साहित (परिपोषित) करने की मार्गदर्शक प्रविधियों का
उपयोग
5. किशोर -अधिगमकर्त्ता के लिए अनुदेशनात्मक व्यूहरचनाएँ:
● सम्प्रेषण कौशल एवं इसके उपयोग।
● शिक्षण की अवधि में, शिक्षण-अधिगम सामग्री का आयोजन एवं उपयोग।
● शिक्षण -प्रतिमान- अग्रिम संगठन, वैज्ञानिक-पृच्छा (enquiry), सूचना, प्रक्रम (processing), सहकारी अधिगम (cooperative).
● शिक्षण- आधारित निर्मितिवादी- सिद्धान्त (constructivist principles).
6. सूचना सम्प्रेषण तकनीकी शिक्षाशास्त्र समाकलन:
● सूचना सम्प्रेषण तकनीकी (ICT) का सम्प्रत्यय
● हार्डवेयर (hardware) एवं सॉफ्टवेयर (software) का सम्प्रत्यय
● प्रणाली-उपगाम से अनुदेशन
● कम्प्यूटर सहायता प्राप्त अधिगम (CAL)
● कम्प्यूटर सहायता प्राप्त अनुदेशन (CAI)
● आई.सी.टी. शिक्षाशास्त्र समाकलन को प्रभावित करने वाले कारक।
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