RPSC School Lecturer Music Syllabus: इस पोस्ट में राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा संगीत विषय का पाठ्यक्रम एवं परीक्षा पैटर्न उपलब्ध करवाया गया है। यह पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न हिन्दी व अंग्रेजी भाषाओं मे उपलब्ध करवाया गया है। यदि आप राजस्थान स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो यह पोस्ट आपके लिए बेहद ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है। इस पोस्ट में संगीत विषय के पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। RPSC School Lecturer Music Exam Pattern, RPSC 1st Grade Music Exam Pattern, RPSC 1st Grade Music Syllabus, RPSC School Lecturer Music Syllabus in Hindi PDF
Exam Organizer | Rajasthan Public Service Commission |
Exam Name | RPSC School Lecturer |
Category | Syllabus |
Paper | Paper – II Music |
Official Website | rpsc.rajasthan.gov.in |
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RPSC School Lecturer Music Exam Pattern
1. पेपर में सभी प्रश्न बहुविकल्पीय प्रकार के प्रश्न होंगे।
2. टाइप परीक्षा 3 घंटे की।
3. उत्तर के मूल्यांकन में नकारात्मक अंकन लागू होगा। प्रत्येक गलत उत्तर के लिए उस विशेष प्रश्न के लिए निर्धारित अंकों में से एक तिहाई अंक काटे जाएंगे।
व्याख्या: गलत उत्तर का अर्थ गलत उत्तर या एकाधिक उत्तर होगा।
Subject | No. of Questions | Total Marks |
Knowledge of Subject Concerned : Senior Secondary Level | 55 | 110 |
Knowledge of Subject Concerned : Graduation Level | 55 | 110 |
Knowledge of Subject Concerned : Post Graduation Level | 10 | 20 |
Educational Psychology, Pedagogy, Teaching Learning Material, Use of Computers and Information Technology in Teaching Learning. | 30 | 60 |
Total | 150 | 300 |
RPSC School Lecturer Music Syllabus
खंड I (उच्च माध्यमिक स्तर)
● नाद-श्रुति-स्वर-सप्तक-ग्राम-जाति-थाट-राग-ताल-मात्रा-लय-तान-मूर्च्छना-गमक कणस्वर-मींड-वादी-संवादी-अनुवादी-विवादी-अर्विभवि-तिरोभाव-अल्पत्व-बहुत्व-गायक-नायक-कलावंत-वाग्येकार-गत-रज़ियाखानीगत-मसीतखानीगत-तोड़ा-झाला-घसीट-जमजमा-आलाप-जोड़ आलाप-चिकारी-लंघन-अलंघन।
● नाद की जाति एवं गुण- सीनियर सैकेण्ड्री स्तर के पाठ्यक्रम में वर्णित रागों की सम्पूर्ण जानकारी एवं तुलनात्मक अध्ययन-राग वर्गीकरण की विस्तृत जानकारी- सीनियर सैकेण्ड्री स्तर के पाठ्यक्रम में वर्णित तालों की सम्पूर्ण जानकारी- राग जाति वर्गीकरण की जानकारी-भातखण्डे एवं पं. व्यंकटमुखी के थाट व्यवस्था की विस्तृत जानकारी।
● पं. विष्णुदिगंबर पलुस्कर एवं पं. भातखंडे की स्वरलिपि पद्धतियों की जानकारी-वाद्य वर्गीकरण-निबद्ध एवं अनिबद्ध गान-गीत प्रकार-राजस्थानी लोक संगीत की सामान्य जानकारी-भारतीय संगीत के आधुनिक काल का इतिहास (स्वांत्रत्योत्तर कालीन)-राग समय चक्र-लयकारी।
● पं. भातखंडे, पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर, उस्ताद अलाउद्दीन खां एवं पं. ओंकार नाथ ठाकुर का जीवन परिचय एवं संगीत को योगदान।
● तानपुरा एवं तबले की सम्पूर्ण जानकारी।
खंड II (स्नातक स्तर)
● श्रुति स्वर व्यवस्था प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक काल के संदर्भ में-ग्राम-राग वर्गीकरण-राग रागिनी वर्गीकरण-रागांग वर्गीकरण-मेलोडी-हारमोनी-स्वर सप्तक का क्रमिक विकास-ताल के दस प्राण-तानों के प्रकार-गमक के प्रकार-प्रबंध गायन-रागालाप-रूपकालाप-आलप्ति-गान-गीति एवं वाणी-दक्षिणी ताल पद्धति-कनार्टक संगीत पद्धति।
● स्वस्थान नियम-हिन्दोस्तानी संगीत के प्रमुख सिद्धान्त-आधुनिक आलाप गायन-पाश्चात्य स्वरलिपि पद्धति-मेजर,माईनर एवं क्रोमेटिक स्केल-पाश्चात्य एवं भारतीय स्वरों की आंदोलन संख्या।
● वाद्य वृन्द एवं वृन्द गान- प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक प्रमुख ग्रन्थ एवं ग्रन्थकार।
● दस थाटों के आश्रय रागों की सम्पूर्ण जानकारी- गायकों एवं वादकों के गुण दोष।
● शास्त्रीय नृत्यों की विभिन्न शैलियां-गायन एवं वादन के प्रमुख घरानों की विस्तृत
जानकारी-भारतीय संगीत वाद्यों का उद्भव, विकास एवं विशेषताऐं-लोक संगीत एवं शास्त्रीय संगीत।
खंड III (स्नातकोत्तर स्तर)
● कंठ संवर्धन-राग एवं रस सिद्धान्त-सौन्दर्य शास्त्र के सिद्धान्त भारतीय संगीत के सन्दर्भ में-कनार्टक संगीत के प्रमुख संगीतकार एवं शास्त्रकार-कनार्टक संगीत की गीत शैलियां-कनार्टक संगीत के प्रमुख वाद्य।
● संगीत का अन्य ललित कलाओं से संबंध।
● आधुनिक संगीतकारों के बारे में विस्तृत जानकारी।
● संगीत एवं मनोविज्ञान।
खण्ड IV- (शैक्षिक मनोविज्ञान, शिक्षाशास्त्र, शिक्षण-अधिगम सामग्री, कम्प्यूटर एवं सूचना तकनीकी का शिक्षण-अधिगम में उपयोग)
1. शिक्षण अधिगम में मनोविज्ञान का महत्व :
● अधिगमकर्ता
● शिक्षक
● शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया
● विद्यालय प्रभावशीलता
2. अधिगमकर्ता का विकास: किशोर अधिगमकर्ता में
● संज्ञानात्मक, शारीरिक, सामाजिक संवेगात्मक एवं नैतिक विकास के प्रतिमान (Patterns) एवं वैशिष्ट्य (Characteristics).
3. शिक्षण-अधिगम:
● उच्च माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए – व्यवहारवादी, संज्ञानवादी और निर्मितिवादी (constructivist) सम्प्रत्यय, अधिगम के सिद्धान्त एवं इनके निहितार्थ।
● किशोर अधिगमकर्ता की अधिगमकर्ता की अधिगम-विशेषताएँ एवं इनके शिक्षण के लिए निहितार्थ।
4. किशोर -अधिगमकर्ता प्रबंधन:
● मानसिक -स्वास्थ्य एवं समायोजन -समस्याओं का सम्प्रत्यय
● किशोर के मानसिक स्वास्थ्य के लिए संवेगात्मक -बु़िद्ध एवं इसके निहितार्थ।
● किशोर के मानसिक स्वास्थ्य को प्रोत्साहित (परिपोषित) करने की मार्गदर्शक प्रविधियों का उपयोग
5. किशोर -अधिगमकर्त्ता के लिए अनुदेशनात्मक व्यूहरचनाएँ:
● सम्प्रेषण कौशल एवं इसके उपयोग।
● शिक्षण की अवधि में, शिक्षण-अधिगम सामग्री का आयोजन एवं उपयोग।
● शिक्षण -प्रतिमान- अग्रिम संगठन, वैज्ञानिक-पृच्छा (enquiry), सूचना, प्रक्रम (processing), सहकारी अधिगम (cooperative).
● शिक्षण- आधारित निर्मितिवादी- सिद्धान्त (constructivist principles).
6. सूचना सम्प्रेषण तकनीकी शिक्षाशास्त्र समाकलन:
● सूचना सम्प्रेषण तकनीकी (ICT) का सम्प्रत्यय
● हार्डवेयर (hardware) एवं सॉफ्टवेयर (software) का सम्प्रत्यय
● प्रणाली-उपगाम से अनुदेशन
● कम्प्यूटर सहायता प्राप्त अधिगम (CAL)
● कम्प्यूटर सहायता प्राप्त अनुदेशन (CAI)
● आई.सी.टी. शिक्षाशास्त्र समाकलन को प्रभावित करने वाले कारक।
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